हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , 10 रबीउस्सानी को हज़रत फातिमा मासूमा (स.) के यौमे वफात के मौके पर आयतुल्लाह मकारिम शीराजी ने एक विशेष बयान दिया है।
उन्होंने कहा कि इमाम जाफर सादिक (अ.स.) की एक प्रसिद्ध हदीस के अनुसार,जल्द ही मेरी संतान में से एक महिला क़ुम में दफन होंगी। 'फमन ज़ारहा वजबत लहुल जन्नह' - यानी जिसने भी उनकी ज़ियारत की उसके लिए जन्नत वाजिब हो गई।
हालाँकि, आयतुल्लाह मकारिम शीराजी ने स्पष्ट किया कि यह वादा बिना शर्त नहीं है। उन्होंने जोर देकर कहा,इसका मतलब यह नहीं है कि ज़ियारत करने वाला व्यक्ति चाहे जो भी पाप करता रहे उसके लिए जन्नत सुनिश्चित हो गई है। बल्कि जन्नत का वाजिब होना मशरूत है।
उन्होंने इस बात को स्पष्ट करने के लिए इतिहास का एक उदाहरण दिया,सहाबा में कुछ ऐसे लोग भी थे जिनके लिए एक दिन जन्नत वाजिब थी, लेकिन बाद में उन्होंने इमाम अली (अ.स.) के खिलाफ विद्रोह किया, बहुत से लोगों को मार डाला और खुद भी मारे गए। इस तरह उनके लिए जहन्नम वाजिब हो गई। इसलिए जन्नत का वाजिब होना शर्तों के अधीन है।
उन्होंने कहा कि हज़रत मासूमा (स.ल.) का महत्व केवल इमाम की बेटी बहन या फुफी होने तक सीमित नहीं है, बल्कि उनका अल्लाह के यहाँ बहुत ऊँचा मकाम है जो उनके जीवन के अध्ययन और ज़ियारतनामे में इस्तेमाल हुए विशेष शब्दों से स्पष्ट होता है।
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